Google ने आज Anne Frank को याद किया, 13 साल की वो लड़की जिसकी डायरी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब बनी। आज गूगल के डूडल फॉर गूगल में तस्वीर एक बच्ची की, जिसने अपनी किताब से पूरी दुनिया में एक छाप छोड़ दी। इस बच्ची का नाम है ऐनी फ्रैंक। ऐनी ने महज 15 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, लेकिन इस 15 साल की छोटी सी उम्र में उसने कितने लोगों को प्रभावित किया। वह “Holocaust में मारे गए यहूदियों में से एक थी।
ऐनी फ्रैंक का जन्म 12 जून 1929 को फ्रैंकफर्ट जर्मनी में हुआ था। पहले विश्वयुद्ध में ही जर्मनी बर्बाद हो चुका था जिसके लिए हिटलर ने यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया था और ये कह दिया कि यहूदी जहां भी मिलें उन्हें मार दो, इस फरमान के बाद से ही जर्मनी में यहूदीयों की दुर्गति हो गयी थी। इसी के चलते ऐनी फ्रैंक का परिवार जर्मनी छोड़कर नीदरलैंड आ गया। इसके बाद दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया। इसके बाद हालात बदतर होते गए। जिसके बाद एनी फ्रैंक के परिवार को तब एम्सटर्डम वाले घर के पिछले हिस्से में रहना पड़ा था। 1942 से 1944 तक दो साल यह परिवार यहीं रहा और इसी बीच ऐनी फ्रैंक ने एक डायरी लिखी, लेकिन अगस्त 1944 में नाजी गुप्त सेना ने फ्रैंक परिवार को ढूंढ लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ऐनी और उनकी बड़ी बहन को मार्गेट फ्रैंक को नाजी बलों ने यातना शिविर में भेज दिया जहाँ उनको यातनाये दी गयी और एक महीने बाद उनकी मौत हो गई। 75 साल पहले आज ही के दिन ये डायरी प्रकाशित हुई थी। गूगल ने अपने डूडल के जरिए ऐनी फ्रैंक की डायरी कुछ हिस्सों को स्लाइड शो में दिखाया है, जिससे ये पता चलता है कि उस छोटी सी बच्ची ने नाजियों का किस तरह का आतंक देखा था और उसे लेकर उसके मन में क्या विचार थे। इस डूडल को गूगल की आर्ट डायरेक्टर थोका मायर ने बनाया है।
क्या कहा था एनी ने किताब में
“मुझे लगता है कि बाद में ना तो मैं और ना ही कोई और 13 साल की एक स्कूल जाने वाली बच्ची की लिखी इन बातों को पढ़ने में दिलचस्पी लेगा। मेरी बिल्ली शायद एकमात्र जीवित प्राणी होगी जिसे मैं अलविदा कहूंगी. हां.. इतना सब होने के बाद भी मुझे यकीन है कि लोग दिल से बुरे नहीं होते हैं” ये बात एक 13 साल की छोटी लड़की ने अपनी डायरी में लिखी थीं। उसे लगता था कि इन बातों को कोई नहीं पढ़ेगा, मगर आज उसकी लिखी ये बातें जब किताब की शक्ल में आईं थी तो ये किताब दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब बनी। उनकी यह डायरी “Nazi” द्वारा “यहूदियों” पर किए गए अत्याचारों का जीता जागता सबूत है।