शिव सेना नेतृत्व के खिलाफ़ विद्रोही नेताओ के मुखिया एकनाथ शिंदे के सीएम बनने के बाद से ही राज्य में सियासत का नया स्वरुप देखने मिल रहा है, बता दे महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत होने से 31 महीने पुरानी महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई है। फ्लोर टेस्ट से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जिसके बाद कल यानि गुरुवार के दिन एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली, दरसल शिवसेना पर आरोप लग रहे थे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस से गठबंधन करके उसने अपनी कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़ दिया था। असंतुष्ट गुट के विधायकों का यह भी कहना रहा कि एनसीपी और कांग्रेस से गठजोड़ के बाद बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना हिंदुत्व के रास्ते से हट गयी, शिंदे ने बगावत का झंडा बुलंद करने के बाद यह तक कह दिया था कि उनकी पार्टी असली शिवसेना है और वह हिंदुत्व की रक्षा करना चाहती है।
हिंदुत्व के नाम पर जन्मी शिवसेना, हिंदुत्व पर अपनी कट्टरता की छवि खो चुकी है साथ ही इन नेताओ के आरोपों से उद्धव ठाकरे भी अपनी छवि को हिन्दुव के एंगल से नहीं रख पाएंगे। लेकिन उद्धव ठाकरे के इस्तीफे और शिंदे के मुख्यमंत्री पद के बाद से हफ्ते भर से चल रहे इस विरोधी कार्यकर्म का अंत हुआ, लेकिन अभी भी ये विरोधी गुट शांत नहीं है बल्कि कानूनी रूप से लडाई और तेज़ हो गयी है, अब 12 जुलाई को होने वाली कोर्ट पेशकश में पता चलेगा की उन 16 बाग़ी नेताओ के अमान्य करने के लिए भेजे गये नोटिस में आगे क्या कार्यवाई होगी। लेकिन एक बात साफ़ है, की शिवसेना तो रहेगी पर ठाकरे की विरासत कही न कही सिमट जाएगी। जहाँ महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे की विरासत BJP की राह का बड़ा रोड़ा थी। जिसका नेतत्व फिलहाल उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। शिंदे को सुप्रीम पावर देने से शिवेसना के संगठन में टूट पड़ने के आसार हैं। संगठन के लोग मुख्यमंत्री के खेमे में जाना चाहेंगे। इस तरह उद्धव ठाकरे की ताकत और कमजोर पड़ जाएगी।
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना, दोनों ही हिंदूवादी राजनीति के कॉम्पिटिटर हैं। 30 सालों से किसी एक के बढ़ने का मतलब दूसरे का कम होना है। आकंड़े भी इसकी गवाही देते रहे हैं। लेकिन अब ये हिन्दूवादी सोच बीजेपी और नयी शिंदे गुट की पार्टी को जोड़ने का काम कर रही है, सबसे पहले शिंदे गुट का शिव सेना नेता उद्धव ठाकरे पर आरोप की वो हिंदुत्व की विचारधारा से, और बाला ठाकरे के लक्ष से दूर हो गए है। फिर बीजेपी और शिंदे के बीच करीबी, कही न कही साबित करती हैं की हिंदूवादी विचार धारा में, उद्धव ठाकरे अब पीछे रह गए है।