Bihar TET Exam: मंगलवार, 14 जून को बिहार सरकार ने अधिसूचना जारी कर के बताया कि अब राज्य के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित नहीं करेगी। वर्तमान में टीईटी नहीं कराने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि भारत सरकार द्वारा नियमित रूप से केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) का आयोजन कराया जाता है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश ने शिक्षा विभाग के इस निर्णय की जानकारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दी है। अब सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए उम्मीदवारों को TET की बजाये सिर्फ CTET की परीक्षा देनी होगी। परीक्षा में आये इस बदलाव पर अब बोर्ड अंतिम निर्णय लेकर पटना हाईकोर्ट को इसकी जानकारी देगा।
दरअसल बिहार में TET बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ली जाती है। एक याचिका की सुनवाई को लेकर पटना हाईकोर्ट ने न्यायादेश पारित कर के बिहार बोर्ड को TET के आयोजन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसके बाद बोर्ड ने शिक्षा विभाग से कोर्ट के आदेश को लेकर TET आयोजित करने के लिए निर्णय की अपेक्षा विभाग से की थी। प्राथमिक निदेशक ने बिहार बोर्ड के सचिव को भेजे पत्र द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में टीईटी नहीं लेने के निर्णय के बारे में बताया।
शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा “बिहार में आयोजित की जाएगी शिक्षक पात्रता परीक्षा”
सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना के महज़ एक दिन बाद यानी बुधवार को बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने TET ख़त्म होने की खबर को गलत बताया। उन्होंने साफ करते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा पर रोक नहीं लगाई गई है। फिलहाल छठे चरण की नियुक्ति चल रही है और जल्दी ही सातवें चरण की नियुक्ति शुरू की जाएगी। सातवें चरण की नियुक्ति के बाद TET का आयोजन होगा। सिर्फ सातवें चरण की नियुक्ति होने तक ही TET नहीं होगी।
एक तरफ नीतीश सरकार TET को लेकर अधिसूचना जारी करती है, दूसरी ओर बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री शिक्षक पात्रता परीक्षा में आये बदलाव को सिरे से ख़ारिज करते है, ऐसे में उम्मीदवार असमंजस की स्थिति में हैं।
CTET को लागू करने से बिहार की क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के साथ होगा अन्याय
यदि सरकार की अधिसूचना को माना जाये तो TET को रद्द कर के सेंट्रल लेवल पर CTET को लागू करने के कई गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते है। बिहार के क्षेत्रीय भाषा में मज़बूती रखने वाले उम्मीदवारों को केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी CTET (Central Teacher’s Eligibility Test) की भाषा विकल्पों के मुताबिक़ परीक्षा देनी होगी। अबतक बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा के आयोजन में मैथिलि, भोजपुरी, मगही आदि जैसे अन्य बिहार की क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया जाता था। लेकिन अब अगर इस परीक्षा के बजाये CTET को शिक्षक भर्ती के लिए तरजीह दी जाएगी तो बिहार की क्षेत्रीय भाषाएँ पीछे रह जाएगी। ऐसे शिक्षक उम्मीदवार जो बिहार की क्षेत्रीय भाषा में कुशल है उनको CTET देने में परेशानी होगी, क्योंकि CTET में अग्रेजी, हिंदी, गारो, गुजराती, असमिया, बांग्ला, कनाडा, खासी, मराठी, मलयालम, मणिपुरी, मिजो, नेपाली, संस्कृत, तमिल, उड़िया, पंजाबी, तेलुगु, तिब्बती और उर्दू भाषा में परीक्षा देने का विकल्प है लेकिन बिहार की कोई भाषा नहीं है।
आप जिस भाषा में CTET देते है, उसी भाषा के अध्यापक के तौर पर आपका चयन होता है। ऐसी स्थिति में CTET में बिहार के क्षेत्रीय भाषाओ का न होने के कारण अगर बिहार में TET को ख़त्म कर के CTET अनिवार्य होता है तो बिहार के क्षेत्रीय भाषा के उम्मीदवारों का क्या होगा? CTET ने अबतक बिहार की एक भी क्षेत्रीय भाषा को अपने भाषा विकल्पों में सम्मिलित नहीं किया है।